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बुध देव – बुध ग्रह का परिचय, महत्व और पौराणिक कथाए

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बुध ग्रह ज्योतिष शास्त्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह बुद्धि, विवेक और संचार का कारक ग्रह माना जाता है। प्राचीन भारतीय ज्योतिष में बुध को ग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि यह मनुष्य की बौद्धिक क्षमताओं, वाणी और व्यापारिक कुशलता को नियंत्रित करता है। आइये विस्तार से जानते हैं बुध ग्रह के बारे में, इसके महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में।

बुध ग्रह क्या है (Budh Grah Kya Hai)

बुध ग्रह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है जो सूर्य के सबसे निकट स्थित है। ज्योतिष शास्त्र में बुध को एक शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यह एक न्यूट्रल या तटस्थ ग्रह है। बुध की खासियत यह है कि जिस ग्रह के साथ यह युति बनाता है या जिस भाव में स्थित होता है, उसी के अनुसार अपना फल प्रदान करता है। शुभ ग्रहों जैसे गुरु, शुक्र या चंद्रमा के साथ होने पर बुध सकारात्मक परिणाम देता है, जबकि अशुभ ग्रहों जैसे राहु, केतु या शनि के साथ होने पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

वैदिक ज्योतिष में बुध को चंद्रमा का पुत्र माना गया है। यह ग्रह बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरणशक्ति, विश्लेषणात्मक क्षमता, वाणी, लेखन, गणित, व्यापार, संचार और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। बुध ग्रह की दशा या अंतर्दशा में व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताएं चरम पर होती हैं और वह अपने करियर में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर सकता है।

बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। इसकी उच्च राशि कन्या है जहां यह 15 अंश पर सर्वोच्च बल प्राप्त करता है, जबकि नीच राशि मीन है जहां यह 15 अंश पर सबसे कमजोर होता है। बुध ग्रह हरे रंग से संबंधित है और इसका रत्न पन्ना माना जाता है। इसके अलावा चार मुखी रुद्राक्ष भी बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

बुध ग्रह का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष में बुध ग्रह को कई महत्वपूर्ण कारकत्वों का स्वामी माना गया है। यह केवल बुद्धि का ही नहीं, बल्कि संचार कौशल, व्यापारिक समझ, गणितीय योग्यता और तर्क करने की क्षमता का भी कारक है। जब कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में होता है, तो जातक में असाधारण बौद्धिक क्षमताएं होती हैं। ऐसे व्यक्ति प्रखर वक्ता, कुशल लेखक और चतुर व्यापारी होते हैं।

बुध ग्रह विशेष रूप से उन व्यवसायों से संबंधित है जहां बुद्धि, संचार और विश्लेषण की आवश्यकता होती है। पत्रकारिता, साहित्य, लेखन, वकालत, अकाउंटिंग, शिक्षण, व्यापार, कंप्यूटर, IT सेक्टर, बैंकिंग और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सफलता के लिए बुध का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। यदि किसी की कुंडली में बुध दसवें भाव में स्थित है या दसवें भाव के स्वामी से संबंध बना रहा है, तो वह व्यक्ति अपने करियर में बुद्धिमत्ता के बल पर शिखर तक पहुंच सकता है।

इसके अतिरिक्त, बुध ग्रह त्वचा, नाड़ी तंत्र, श्वसन तंत्र और जीभ से भी संबंधित है। कमजोर बुध के कारण व्यक्ति को वाणी संबंधी समस्याएं, तंत्रिका तंत्र की बीमारियां, त्वचा रोग और श्वसन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।

बुध ग्रह की पौराणिक कथाएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध देव की उत्पत्ति की कहानी अत्यंत रोचक और नाटकीय है। ब्रह्मांड पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में बुध के जन्म की कथा का विस्तृत वर्णन मिलता है।

कथा के अनुसार, चंद्रमा देवताओं के गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा के रूप-सौंदर्य पर मोहित हो गए। एक बार जब बृहस्पति यज्ञ कार्य में व्यस्त थे, तब चंद्रमा तारा को अपने साथ ले गए। इस घटना से देवलोक में हलचल मच गई। बृहस्पति ने अपनी पत्नी को वापस मांगा, लेकिन चंद्रमा ने इनकार कर दिया। इस विवाद ने देवताओं और असुरों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा कर दी।

अंततः ब्रह्मा जी के हस्तक्षेप से तारा को बृहस्पति के पास वापस भेजा गया, लेकिन उस समय तक तारा गर्भवती हो चुकी थीं। जब उन्होंने एक अत्यंत सुंदर और तेजस्वी बालक को जन्म दिया, तो दोनों ऋषियों ने बालक पर अपना अधिकार जताया। अंततः तारा ने स्वीकार किया कि बालक चंद्रमा का पुत्र है। इस बालक का नाम बुध रखा गया, जिसका अर्थ होता है “बुद्धिमान” या “जानने वाला”।

बुध अत्यंत प्रतिभाशाली और बुद्धिमान थे। उन्होंने अपनी विलक्षण बुद्धि और ज्ञान से सभी को प्रभावित किया। बाद में उनका विवाह चंद्रवंशी राजा इला से हुआ, जो एक समय स्त्री और एक समय पुरुष रूप में रहते थे। बुध और इला के पुत्र का नाम पुरुरवा था, जो चंद्रवंश के संस्थापक माने जाते हैं।

एक अन्य कथा के अनुसार, बुध देव को सभी ग्रहों में सबसे बुद्धिमान और चतुर माना जाता है। उन्होंने अपनी बुद्धि के बल पर देवताओं और ऋषियों को कई बार समस्याओं से निकाला। बुध देव की उपासना करने से व्यक्ति को तीव्र बुद्धि, स्पष्ट वाणी और व्यापारिक सफलता प्राप्त होती है।

किस तरह बुध ग्रह को मनाया जाता है (Kis Tarah Budh Grah Ko Manaya Jata Hai)

बुध ग्रह की पूजा और उपासना का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है। बुध को प्रसन्न करने के लिए कई विधि-विधान और उपाय बताए गए हैं, जो कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत करते हैं और जातक को बौद्धिक उन्नति प्रदान करते हैं।

इस देव की पूजा का सर्वोत्तम दिन बुधवार है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करना, हरे रंग का भोजन करना और हरे फूलों से पूजा करना विशेष फलदायी होता है। बुधवार के दिन व्रत रखना और शाम को हरे रंग की मूंग की दाल का दान करना बुध को मजबूत करता है।

बुध देव की मूर्ति या चित्र के सामने हरे रंग के वस्त्र बिछाकर, हरे पुष्प, तुलसी के पत्ते, धूप-दीप से पूजा करनी चाहिए। बुध मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप 108 बार या 9000 बार करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इसके अलावा बुध के बीज मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का भी जाप किया जा सकता है।

बुधवार के दिन भगवान विष्णु और भगवान गणेश की पूजा भी बुध को प्रसन्न करती है। श्रीमद् भागवत गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी लाभकारी है। बुध ग्रह से संबंधित स्तोत्र और चालीसा का पाठ भी नियमित रूप से करना चाहिए।

धार्मिक महत्व के साथ-साथ, बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए कुछ व्यावहारिक उपाय भी हैं। विद्यार्थियों को मदद करना, गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए सहायता देना, पुस्तकें दान करना और गाय को हरा चारा खिलाना बुध को प्रसन्न करता है।

बुध ग्रह किन राशियों के स्वामी हैं (Budh Graha Konsi Rashi Ke Ruling Planet Hai)

ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह दो राशियों के स्वामी हैं – मिथुन राशि और कन्या राशि। ये दोनों ही राशियां बुध की विशेषताओं को अपने में धारण करती हैं।

मिथुन राशि (Gemini): यह वायु तत्व की राशि है और इसका प्रतीक जुड़वां है। मिथुन राशि के लोग अत्यंत बुद्धिमान, चतुर, बातूनी और जिज्ञासु स्वभाव के होते हैं। ये लोग संचार कौशल में माहिर होते हैं और एक से अधिक कार्य एक साथ करने में सक्षम होते हैं। मिथुन राशि के जातक बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं और उन्हें नई चीजें सीखने का शौक होता है। ये लोग पत्रकारिता, लेखन, संचार, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं।

कन्या राशि (Virgo): यह पृथ्वी तत्व की राशि है और इसका प्रतीक कन्या है। कन्या राशि के लोग विश्लेषणात्मक, व्यवस्थित, पूर्णतावादी और विवेकशील होते हैं। इन्हें विस्तार में जाकर काम करना और सूक्ष्मता से विश्लेषण करना पसंद होता है। कन्या राशि के जातक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हैं और सफाई तथा व्यवस्था को महत्व देते हैं। ये लोग लेखा-जोखा, विज्ञान, चिकित्सा, प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।

कन्या राशि में बुध अपनी उच्च राशि में होता है, जहां यह सर्वाधिक शक्तिशाली होता है। 15 अंश की कन्या राशि में बुध अपनी चरम शक्ति पर होता है। इस स्थिति में जातक को असाधारण बौद्धिक क्षमताएं, तीव्र स्मरणशक्ति और विश्लेषणात्मक सोच प्राप्त होती है।

इसके विपरीत, मीन राशि में बुध नीच का होता है। इस स्थिति में बुध की शक्तियां कमजोर हो जाती हैं और जातक को बुद्धि, तर्क और संचार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

चार मुखी रुद्राक्ष – बुध ग्रह के लिए विशेष उपाय

बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए चार मुखी रुद्राक्ष एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली उपाय है। प्राचीन शास्त्रों और ज्योतिष ग्रंथों में चार मुखी रुद्राक्ष को बुध ग्रह के दोषों को दूर करने का सर्वोत्तम साधन बताया गया है।

4 मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व भगवान ब्रह्मा करते हैं, जो सृष्टि के निर्माता हैं और चारों वेदों के स्वामी हैं। यह रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, स्मरणशक्ति और वाणी को प्रखर बनाता है। जो लोग शिक्षा में पिछड़ रहे हैं, जिनकी स्मरणशक्ति कमजोर है, जिन्हें बोलने में कठिनाई होती है या जिनकी एकाग्रता में समस्या है, उनके लिए चार मुखी रुद्राक्ष वरदान स्वरूप है।

चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ:

4 Mukhi Rudraksha

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चार मुखी रुद्राक्ष (Check 4 Mukhi Rudraksha)धारण करने से बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति की विश्लेषणात्मक क्षमता बढ़ती है। यह रुद्राक्ष विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी है क्योंकि यह स्मरणशक्ति को तीव्र करता है और परीक्षाओं में सफलता दिलाता है। जिन लोगों को वाणी दोष है या जो स्पष्ट रूप से अपनी बात नहीं रख पाते, उनके लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत फलदायी है।

लेखक, पत्रकार, वक्ता, शिक्षक, वकील और संचार से जुड़े व्यवसायों में लगे लोगों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष करियर में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और मन को शांत तथा स्थिर बनाता है। जिन लोगों की कुंडली में बुध नीच राशि में है या पीड़ित है, उनके लिए यह रुद्राक्ष विशेष रूप से अनुशंसित है।

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि:

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे शुद्ध और प्राणप्रतिष्ठित करना आवश्यक है। बुधवार के दिन प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध और शहद से धोकर शुद्ध करें। फिर भगवान शिव की पूजा करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।

इसके बाद बुध मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का 108 बार जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें। यह रुद्राक्ष चांदी या पंचधातु की चेन में पिरोकर गले में या कलाई में धारण किया जा सकता है। इसे सदैव शरीर पर धारण करना चाहिए और नियमित रूप से गंगाजल से धोकर शुद्ध करते रहना चाहिए।

चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने के साथ-साथ नैतिक आचरण, सच्चाई और अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है। मांसाहार, मदिरा और तामसिक प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए। नियमित ध्यान और मंत्र जाप रुद्राक्ष के प्रभाव को बढ़ाता है।

बुध के उपाय: Budh Ke Upay

बुध ग्रह को बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है जो ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह का दर्जा रखता है। बुध ग्रह की खासियत यह है कि यह न्यूट्रल ग्रह है और जिस ग्रह के साथ साथ रहता है उसके अनुसार ही परिणाम देता है। शुभ ग्रहों के साथ बुध सकारात्मक परिणाम देते हैं जबकि अशुभ ग्रहों के साथ नकारात्मक फल देते हैं। मिथुन और कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध की उच्च राशि कन्या है जबकि नीच राशि मीन है। बुध ग्रह अगर कुंडली में मजबूत स्थिति में हो तो जातक बुद्धि, तर्क, चातुर्य, वाक्पटुता जैसे गुणों वाला होता है, वहीं अगर बुध कमजोर हो तो बोलने की समस्या, विचारों को पेश करने में दिक्कतें होती हैं। ऐसे में आइये विस्तार से जानते हैं कि कुंडली में बुध के मजबूत और कमजोर होने के क्या प्रभाव होते हैं और बुध ग्रह के उपाय क्या हैं।

कुंडली में मजबूत बुध के प्रभाव

कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत हो तो जातक बुद्धिमान होता है। उसकी संवाद करने की क्षमता अच्छी होती है। संचार, गणित, तर्कक्षमता वाले क्षेत्रों में जातक अच्छा प्रदर्शन करता है। पत्रकारिता, साहित्य, वकील, अकाउंट, लेखन आदि के क्षेत्र में काम करने वालों को मजबूत ग्रह विशेष सफलता दिलाते हैं। बली बुध ग्रह कुशल वक्ता बनाते हैं और एक से अधिक भाषा का ज्ञाता बनाते हैं।

मजबूत बुध वाले व्यक्ति को व्यापार में विशेष लाभ होता है। ऐसे लोग जल्दी निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और उनकी सूझबूझ काफी तीक्ष्ण होती है। वे हर परिस्थिति में अपनी बुद्धि से रास्ता निकाल लेते हैं। तकनीकी क्षेत्र, कंप्यूटर, IT और डिजिटल मार्केटिंग में भी ऐसे लोग अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

बली बुध वाले जातक की लेखन शैली प्रभावशाली होती है और वे अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर पाते हैं। उनकी याददाश्त तीव्र होती है और वे जल्दी सीखने में माहिर होते हैं। ऐसे लोग विभिन्न विषयों में रुचि रखते हैं और बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं।

कुंडली में कमजोर बुध के प्रभाव

जब कुंडली में बुध कमजोर होता है तो जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले तो उसकी बुद्धि और तर्कशक्ति में कमी आ जाती है। ऐसे लोग निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं और भ्रमित रहते हैं। उन्हें अपनी बात स्पष्ट रूप से रखने में कठिनाई होती है और वाणी में हकलाहट या अन्य दोष हो सकते हैं।

कमजोर बुध वाले जातक की स्मरणशक्ति कमजोर होती है। उन्हें पढ़ाई में कठिनाई होती है और चीजें याद रखने में परेशानी आती है। गणित और तर्क आधारित विषयों में वे पिछड़ जाते हैं। व्यापार में भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उनकी व्यावसायिक सूझबूझ कमजोर होती है।

संचार के क्षेत्र में काम करने वालों को कमजोर बुध के कारण विशेष कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेखन में रुचि होने के बावजूद वे अपने विचारों को शब्दों में नहीं ढाल पाते। तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं, त्वचा रोग, एलर्जी और श्वसन संबंधी रोग भी कमजोर बुध के कारण हो सकते हैं।

बुध ग्रह को मजबूत करने के उपाय

मंत्र जाप और पूजा विधि:

बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए सबसे प्रभावशाली उपाय है नियमित मंत्र जाप। बुधवार के दिन प्रातःकाल स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। हरे रंग के आसन पर बैठकर बुध मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें। संपूर्ण फल के लिए इस मंत्र का 9000 या 17000 बार जाप करना चाहिए।

बुध देव की पूजा में हरे रंग के फूल, तुलसी के पत्ते, हरी दूर्वा, मूंग की दाल और हरे वस्त्र का उपयोग करना चाहिए। धूप-दीप से पूजा करें और भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाएं। बुध स्तोत्र और बुध अष्टोत्तरशतनामावली का पाठ भी अत्यंत लाभकारी है।

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